दिल कहे तो कविता करूं
दिमाग से कविता नहीं होती, जो दिल कहे तो कविता करूं ॥ पुरवाई जब महकती हुई आए, और इंद्र तड़ित-तलवार चलाए, मेघों की गर्जन से मन थर्राय, फिर बारिश मेरे आंगन आए, सोंधी खुशबू से घर भर जाए, बूंदों की टप-टप राग सुनाए, जख्मी धरती पे जैसे मरहम लग जाए,...Read more