हो तुम पर जो, परेशानियों की मार, और फंसी हो नैय्या, बीच मजधार, थामें रहना ढाढ़स और साहस की बाहें, ये नैया खुद ही लग जायेगी पार, हिम्मत मत हारना यार । कभी जो लगे, कि ख़ुशी ना बाकी रही कोई, घेरें रहें तुमको ग़म और दुःख, अपरम्पार, देख पहाड़ दुखों...Read more
वो साइड अपर पे बैठी थी । काँधे पर उसके, लटकती चोटी थी, गालों के रंग से मिलती, गुलाबी कुर्ती वो पहने थी, वो साइड अपर पे बैठी थी । बातें करती बड़ा लजाती, हाथों से चेहरे को छुपाती, और बातों पे सहेली की, ठहकती थी, वो साइड अपर पे बैठी...Read more
ऋतू रानी बरस कर थक जाएं, तब ऋतू शरद की आती है, शीतलहर उत्तर से उड़ती हुई, हिमालय का संदेशा लाती है । पहले सूरज से लड़ाई थी, देखकर उन्हें अपनी काया छुपाई थी, अब वो घनिष्ट मित्र हैं, क्योंकि उनसे ही मिलता धूपामृत है। कोई कहे गर्मी पीस...Read more
ऐ बारिश तू कुछ मेरे महबूब सी है | जब तुम वादा करके आती नहीं, तो ये ख्याल आता है, की तुम्हारे प्यार की बरसात, कहीं और तो नहीं हो रही ? ऐ बारिश तू कुछ मेरे महबूब सी है | जो कभी आती हो देर से तुम,...Read more
आज दिल में, है ये उलझन, कि हम क्या देखें, तुमको देखें, या ये नज़ारे देखें ? देखें ये फ़िज़ा, या देखें ये समां, की बनके परवाना, देखें हम तुमको शमा ? लहरों में, नदियों को, हम बहता देखें, या तेरी ज़ुल्फ़ों की, हम घटा देखें ? आज दिल...Read more