ये बारिश जब भी आती है
ये बारिश जब भी आती है,
यादें ताज़ा कर जाती है |
आज सुबह से ही बरस रही है,
बनकर मोतियों की झड़ी |
ठीक ऐसी ही एक झड़ी में,
मैंने तुम्हारा हाथ थामा था |
उस गीली हथेली की गर्माहट,
जिसमें प्रेम और लाज थी,
वो गर्माहट आज फिर महसूस हुई ||
ये बारिश जब भी आती है,
यादें ताज़ा कर जाती है |
मुझे याद है तेज़ बारिश में,
मेरे घर के सामने एक नदी बहती थी |
न जाने मैंने कितने जहाज़ चलाए उसमें,
कुछ डूबे और कुछ तैर गए |
ठीक ऐसा ही मेरे सपनों के साथ हुआ,
कुछ अधूरे रह गए पास मेरे,
और कुछ पूरे पराए हो गए ||
ये बारिश जब भी आती है,
यादें ताज़ा कर जाती है |
वो मैदान जहां हम खेलते थे,
अब जहां एक इमारत है,
बारिश में वहां कीचड़ होता था |
उस कीचड़ से सना मैं, जब घर पहुंचता,
तो मुझे मिलती, एक प्यारी सी डांट,
और लाड़ से लिपटा तौलिया |
कुछ बच्चों को वैसे ही खेलता देख,
सोचा फिर बच्चा हो जाऊं,
पर अब वो तौलिया और डांट कहां से लाऊँ ?
ये बारिश जब भी आती है,
यादें ताज़ा कर जाती है |
Wah wah
Thanks Bhaiya
Akhir baarish mein tumhe meri yaad aa hi gayi….
Haan baarish mein mein chai aur pakodi banane waale ki yaad aa hi jaati hai